रैगर जाति में जन्म लिया, निज समाज विकास में आगे रहेंगे ।
सामाजिक गौरव का काम करेंगे ।
रैगर समरसता हित सब काम करेंगे ।
स्वजाति उत्थान में समाज बंधु लग जाएँगे ।
माँ गंगा की संतान, रैगर ज्ञानी और गुणवान ।
सामाजिक एकता प्यारेँ बंधु मिल जाएँगे ।
वीरता, मर्यादा, से लबरेज समाज हमारा ।
डूबे ना शान रैगर! समाज खातिर प्राण गवाएंगा ।
समाज सीख देता सबका सम्मान करे ।
आओ हाथ मिलाएँ, रैगर जन उत्थान करे ।
लेखक
हरीश सुवासिया
एम. ए. [हिंदी] बी. एड. (दलित लेखक,संपादक)
देवली कला जिला- पाली मो॰ 09784403104