ज्ञान की लौ बिखेरने के लिए रैगर समर्थ हो ।
एक दूजे का हाथ पकड़ आगे बढ़ने को वचनबद्ध हो ।
छल-कपट से लूटा लूटेरों ने तेरा राज सिहासन ।
सब ले रैगर शपथ अँधेरे के आगे ना नतमस्तक हो ।
धर्मगुरु ज्ञानस्वरूप ने राह दिखाई उसका परिपालन हो ।
‘लक्ष्य’ गुरु शिक्षाओ का समाज हित अनुपालन हो ।
समाज के नव-निर्माण के लिए सद्प्रयास संचालन हो ।
अंधियारे से उभरे ‘रैगर शक्ति’ बने नीतिगत पालन हो ।
लेखक
हरीश सुवासिया
एम. ए. [हिंदी] बी. एड. (दलित लेखक,संपादक)
देवली कला जिला- पाली मो॰ 09784403104