आतंकवाद

आतंकवाद के कारण पूरा विश्व उबल रहा है। विश्व का कोई देश ऐसा नहीं जहां आतंकवाद न हो। भारत में आतंकवाद बहुत समय से है। मौका मिलने पर बेगुनाहों को मौत के घाट उतारने में आतंकवादियों का दिल नहीं पसीजता। आतंकवादी अपने कारनामो को सही साबित करने के लिए धर्म और बहावी विचारधारा की मदद लेते है वे मानते है की उनका संघर्ष जिहाद है – अगर उनकी मौत होती है तो जन्नत की सैर करेंगे और जिन्दा बचते है तो वे अपने उद्देश्य को प्राप्त कर लेंगे।

विश्व के कुछ भागो में स्वतंत्रता संग्राम लड़ने की बात कहते है और कुछ जगहों पर शासक वर्ग से मुक्ति दिलाने के लिए आतंकी हमले करते है। आज के समय में देश विदेश की सबसे बड़ी समस्या के बारे में अगर पुछा जाये, तो बच्चा बच्चा भी यही बोलेगा आतंकवाद। आतंकवाद ने हमारे देश समाज को इस तरह जकड रखा है कि लाख कोशिशों के बाद भी ये जड़ से अलग नहीं हो रहा है।

जितना हम इसे दबाते है, उतना ही विकराल रूप लेकर ये सामने आ जाता है। आतंकवाद को कैसे परिभाषित करें, यही समझ नहीं आता, क्यूंकि हर कोई इसे अपने ढंग से समझता है। भारत में स्वतंत्रता की लड़ाई के समय अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों को आंतंकवादी समझते है, जबकि वे तो अपने हक के लिए लड़ रहे है। कई बार हक़ की लड़ाई लड़ने वाला उग्र हो जाता है, उसे सामने वाला आतंकवादी समझ लेता है।

हर हिंसा करने वाला आतंकवादी नहीं होता, लेकिन हर अहिंसावादी आतंकवादी न हो ये भी जरुरी नहीं है। आतंकवादी अपने  संकीर्ण, सांप्रदायिक और अपवित्र उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हर तरह की असामाजिक और गैर-सरकारी गतिविधियों में शामिल होते हैं।

की एकता और अखंडता के लिए आतंकवाद एक बड़ा खतरा बन गया है। आतंक के मास्टरमाइंडों ने भारत को अस्थिर करने के उद्देश्य से भय के माहौल को बनाकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहते है। भारत में आतंकवादी गतिविधियों से  प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों में जम्मू कश्मीर, पूर्व-मध्य और दक्षिण-मध्य भारत (नक्सलवाद) और सात बहनों (उत्तर-पूर्व) शामिल हैं।

गरीबी और बेरोजगारी भारत में आतंकवाद की वृद्धि को बढ़ावा देने के प्रमुख कारणों में से एक है। यदि हम आतंकवाद को रोकना चाहते है तो हमें उस कारणों को संबोधित करने की जरूरत है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में युवाओं के कट्टरता को जन्म देते हैं। यहां लम्बे समय से आतंकवाद का सामना कर रहा है।

नागा विद्रोहियों की समस्या भारत में चिंता का विषय है। देश में नक्सल आंदोलन भी चल रहा है। वर्तमान में आतंकवाद पंजाब और अन्य स्थानों तक फ़ैल चुका है। कुछ बड़ी शक्तियां और पड़ोसी देश हमारे देश में अव्यवस्था फैलाने की कोशिश में लगे रहते हैं।

हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है । यहाँ अनेक धर्मो के मानने वाले लोग निवास करते हैं । हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, ब्राम्हण समाजी, आर्य समाजी, पारसी आदि सभी धर्मो के अनुयाइयों को यहाँ समान दृष्टि से देखा जाता है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं । वास्तविक रूप में धर्मो का मूल एक है ।

सभी ईश्वर पर आस्था रखते है तथा मानव कल्याण को प्रधानता देते हैं । सभी धर्म एक-दूसरे को प्रेमभाव व मानवता का संदेश देते है परंतु कुछ असामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति के लिए धर्म का गलत प्रयोग करते है । धर्म की आड़ में वे समाज को इस हद तक भ्रमित कर देता है कि उनमें किसी एक धर्म के प्रति घृणा का भाव समावेशित हो जाता है । उनमें ईर्ष्या, द्वेष व परस्पर अलगाव इस सीमा तक फैल जाता है कि वे खून बहाने से भी नहीं चूकते ।

हमारे भूतपूर्व युवा प्रधानमंत्री स्व॰ राजीव गाँधी इसी आतंक रूपी दानव की क्रूरता का शिकार बने । अनेक नेता जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए आतंकवाद का समर्थन किया बाद में वे भी इसके दुष्परिणाम से नहीं बच सके । पाकिस्तान के अंदर बढ़ता हुआ आतंकवाद इसका प्रमाण है । वहाँ के शासनाध्यक्षों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे है ।पूरी दुनिया में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाओं का एक सिलसिला सा चल पड़ा है । धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में तो खून की नदियाँ बहना आम बात हो गई है ।

प्राकृतिक सौंदर्य का यह खजाना आज भय और आतंक का पर्याय बन रहा है । खून-खराबा, मार-काट, बलात्कार आदि घटनाओं से ग्रस्त यह प्रदेश पाँच दशकों से पुन: अमन-चैन की उम्मीदें लिए कराह रहा है । हमारी सरकार को देश में जितने भी राजनैतिक और सामजिक संगठन हैं, उनसे बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहिए |

उनकी जायज माँगों को मान लेना चाहिए | सरकार की उदासीनता लोगों में असंतोष पैदा करती है और उनमें से कई आतंकवाद की तरफ मुड़ जाते हैं | यह सरकार की जिम्मेदारी है कि देश में एकता बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जिससे हमारे शत्रु हमारे देश के लोगों को ही हमारे खिलाफ इस्तेमाल न कर पाए |

वर्तमान में सीरिया और उसके आस-पास के क्षेत्र भी आतंकवाद से ग्रसित हैं। इन इलाकों में गृहयुद्ध जैसी स्थिति व्याप्त है। बमों और मिसाइलों के हमलों में हजारों की संख्या में निर्दोष और मासूम लोग मारे जा रहे हैं। भारज के मुंबई शहर में ताज होटल में हुए आतंकी हमले में भी कई लोग मारे गए।

इसके अलावा रोज कहीं न कहीं छोटे-बड़े आतंकी हमले होते ही रहते हैं। आतंकवाद में आज सम्पूर्ण विश्व को युद्ध की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देशों में आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। पाकिस्तान और श्रीलंका भी हिंसा की चपेट में हैं। आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से हल किया जा सकता है। संसार के देशों को अन्य देशों के विरुद्ध आतंकी क्रियाकलापों की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता और मणनवीय मूल्यों में कोई विश्वास भी नहीं होता है।

आतंकवाद एक ऐसे प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है।

लोगो में डर की भावना पैदा करना आतंकवादियों का पहला मकसद होता है। ये अपने तरह के सिद्धांतों पर काम करते हैं जिनके कारण लोगों में भय तथा खौफ फैलता है। इनका काम लोगों में भय पैदा करना है। यह कोई नई बात नहीं है क्यूंकि हर  मुल्क में आतंक  खतरा बरकरार है, या तो अंदरूनी आतंक से या दूसरे मुल्कों द्वारा फैलाए आतंक से।आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके आजमाते रहते हैं|

भीड़ भरे स्थानों, रेल बसों इत्यादि में बम विस्फोटक करना, रेलवे दुर्घटना करवाने के लिए रेलवे लाइनों की पटरियां उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण कर लेना निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बंदी बना लेना, बैंक डकैती करना इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियां हैं जिनमें पूरा विश्व पिछले कुछ दशकों से त्रस्त हैं| आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है और किसी न किसी तरह से पीड़ित है |

आतंकवादियो का मुख्य उद्देश्य अपनी विचारधारा का प्रचार करना हैं। इस प्रक्रिया में यह विचार जन-समर्थन प्राप्त करना चाहता हैं और वह शासन की सैन्य शक्ति व मनो वैज्ञानिक शक्ति को विघटित करना चाहता हैं। आतंकवाद किसी भी देश/क्षेत्र की आंतरिक स्थिरता तोड़ना और उसके सतत विकास को रोकना चाहता हैं। वह अपने विचार रूपी आन्दोलन को बढ़ाना चाहता हैं और इस आन्दोलन की रूकावट चाहे वो व्यक्ति हो या सस्था उसे हटाने की कोशिश करता हैं तथा यह शासन को प्रतिक्रिया दिखाने के लिए उकसाता हैं।

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के अन्य रूप चाहे जो भी हों, 11 सितंबर, 2001 के बाद, सही या गलत, वह इसलामी जेहाद का समानार्थी बन चुका है। इसे सभ्यताओं का टकराव कहें या किसी अन्य प्रकार का टकराव, आधुनिकता तथा  स्वतन्त्रता का समर्थक शक्तिशाली समाज तथा रूढ़िवादिता और दमन के अतिवादी रूप के अंतिम गढ़ों के बीच संघर्ष अनिवार्य था।

विश्व में आतंकी घटनाओ से लाखो लोग मारे गए है जबकि कड़ोरो बेघर हो गए है। भारत में आतंकी हमले मुंबई पर, संसद पर, अक्षरधाम पर, उड़ी तथा पठानकोट सैन्य ठिकानो पर हुआ । इन हमलो में  कई लोग मारे गए और हमें भारी क्षति उठाना पड़ा। पाकिस्तान अपनी भूमि का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में करता है तथा अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशो को आतंकवाद का अर्थ समझ में आ गया है सिर्फ चीन का समझना बाकि है। आतंकवाद का जिस ढंग से विस्तार हो रहा है यदि उसको समय रहते नहीं रोका गया तो भारत सहित सभी देशों के लिए यह एक विकत समस्या बन जाएगा।

दुनिया की सभी देशों को मिलकर ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति पर रोक लगाने के प्रयास करने चाहिए। लेकिन दुख इस बात का है की दुनिया के बड़े देश इस समस्या से मुकाबला करने में भी अपने हितों पर अधिक ध्यान देते हैं। राष्ट्रीय समस्याओं पर आम सहमती तैयार की जानी चाहिए तथा न्याय व्यवस्था से सम्बन्धित सुधार करना, शासक और जनता में संवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, पुलिस तथा सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाना चाहिए तथा शिक्षा एवं रोजगार की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

आतंकवाद मानव सम्यता के लिए कलंक है और उसे किसी भी रूप में पनपने नहीं देना चाहिए । विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसको पूरी तरह  खत्म कर देना का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा और उज्ज्वल भविष्य प्रदान कर सकें। तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं की आपको आतंकवाद पर निबंध काफी पसंद आयी होगी और इसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करने चाहेंगे ।