स्वामी श्री सूरजनाथ जी महाराज
आपका जन्म चैत्र सुदी 2 सम्बत् 1975 को कुचामन सिटी, जिला नागौर, राजस्थान में पिता श्री सेवाराम मोहनपुरिया, माता श्रीमती उदी देवी के घर हुआ था । कक्षा तीसरी के अध्ययन के समय से ही समाज सेवा का संकल्प ले लिया तथा समाजिक कुरीतियॉं जैसे मृत्यु-भोज, गंग-भोज, शराब, अभक्ष्य खान-पान जैसी कुरीतियों को मिटाने व शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने लगें ।
स्वामी जी का विवाह अमरी देवी उजिणिया के साथ सम्पन्न हुआ, तथा पुत्र रत्न प्राप्त हुआ जिनका नाम ओमप्रकाश मोहनपुरिया बी.ए. तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद राज्य सेवा में कार्यरत हैं । मध्य समय में स्वामी जी की पत्नी का स्वर्गवास हो गया था । धर्म पत्नी के स्वर्गवास के बाद स्वामी जी ने अपने गुरू श्री श्री 1008 स्वामी श्री देवनाथ जी महाराज के आदेशानुसार भगवा चोला 23.3.1966 में धारण किया तत्पश्चात् गांव-गांव शहर-शहर घूमकर सत्संग के द्वारा भगवान की भक्ति एवं शिक्षा देना, अच्छा खान-पान की शिक्षा के बाद बालक एवं बालिकाओं की शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना मुख्य उददेश्य रहा इनके प्रचार-प्रसार से लोगों में जागृति आई राजस्थान, गुजरात, पंजाब, दिल्ली आदि अनेंक स्थानों पर समस्त जातियों एवं धर्म के कई हजारों की संख्या में इनके शिष्य बने तथा शिष्यों ने गुरूजी की नीतियों को आगे बढाने का संकल्प लिया ।
दिनॉंक 15.5.1985 को महाराज जी के दिल्ली प्रदेश के वरिष्ट शिष्य बिरदी चन्द जी नारोलिया, मास्टर गणपत राम जी सौंकरिया, नारायणदास जी मौर्या, बजरंग लाल जी माछलपुरिया, राम स्वरूप जी मौर्या, नरेन्द्र कुमार जी दोताणिया, भगवान दास जी सबलाणिया, आदि अनेक शिष्यों ने मिलकर श्री सूरजनाथ जी महाराज आदर्श रैगर सत्संग मण्डल की स्थापना की तथा 15.4.1986 को इस संस्था का पंजीकरण कराया गया तथा गुरूजी को अवगत कराया गया । गुरू जी बहुत खुश हुए । हर साल सत्संग मण्डल के स्थापना दिवस पर गुरू जी मुख्य कार्यालय एफ-3/227, सुलतान पुरी दिल्ली आते रहते थें ।
मादीपुर, मंगोल पुरी, उत्तम नगर, नॉंगलोई, ज्वाला पुरी, पूठ कला, सैक्टर-20 रोहिणी, सुलतान पुरी आदि स्थानों पर महीनों तक सत्संग एवं प्रवचनों का आयोजन होता रहता था ।
4 दिसम्बर 2001 को अपने जन्म स्थान कुचामन सिटी नागौर में स्वामी सूरजनाथ जी महाराज ब्रहमलीन हो गए । तत्पश्चात् स्वामी जी का विशाल भण्डारें का आयोजन भी किया गया जिसमें हजारों की संख्या में शिष्यगण इक्कठे हुये थे । स्वामी जी के द्वारा किये गए कार्य हमें सदैव याद रहेगें ।
(साभार : राज कुमार नौगिया, सह-महासचिव – अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी.) )
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