गंगामाई का मंदिर – बड़ली

बड़ली में रैगरों की बस्‍ती के पास ही एक पुरानी बावड़ी है । बावड़ी और रैगरों की बस्‍ती के बीच एक सड़क है । रैगरों की बस्‍ती की तरफ बावड़ी की ऊंची पाल है । स्‍वामी गोपालरामजी महाराज की प्रेरणा से बावड़ी की पाल की ऊंचाई पर कुछ वर्षों पहले गंगामाई के मंदिर का निर्माण करवाया गया । मंदिर का निर्माण दानदाताओं के आर्थिक सहयोग से हुआ । निज मंदिर में गंगामाई, शिव शंकर, विष्‍णु भगवान, गजानन्‍दजी तथा दुर्गा की संगमरमर की मूर्तियें स्‍थापित की गई है । ये मूर्तियें भी दानदाताओं के सहयोग से लगाई गई है । मंदिर में पानी का बड़ा टांका बना हुआ है । इस मंदिर से लगी हुई एक बड़ी धर्मशाला भी है । मंदिर के बाहर एक प्‍याऊ बनी हुई है । रास्‍ते से गुजरते हुए आम आदमी को प्‍याऊ का स्‍वच्‍छ पानी पीने को उपलब्‍ध रहता है । मंदिर के बाहर तीन दुकानें बनी हुई है जो किराये पर दी हुई है । यह मंदिर की आय का स्‍थाई स्‍त्रोत है । दुकानों की आय से मंदिर की मरम्‍मत तथा रखरखाव की व्‍यवस्‍था हो जाती है ।

(साभार- चन्‍दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्‍कृति’)

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