भूमिका : पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व , आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना संभव नहीं होता है। दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी देश के विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार है। महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि महिलाओं के बिना मानव जाति की निरंतरता के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं क्योंकि महिलाएं ही मानव को जन्म देती हैं।
लडकियाँ प्राचीनकाल से भारत में बहुत प्रकार के अपराधों से पीड़ित हैं। सबसे बड़ा अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लडकियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी बचाओ अभियान को सरकार द्वारा स्त्री भ्रूण के लिंग चयनात्मक गर्भपात के साथ-साथ बालिकाओं के विरुद्ध अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया है।
भारतीय समाज में लडकियों की स्थिति बहुत समय से विवाद का विषय बनी हुई है। आमतौर पर प्राचीन समय से ही देखा जाता है कि लडकियों को खाना बनाने और गुड़ियों के साथ खेलने में शामिल होने की मान्यता होती है जबकि लडके शिक्षा और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। ऐसी पुराणी मान्यताओं की वजह से लोग महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने को आतुर हो जाते हैं। इसका परिणाम समाज में बालिकाओं की संख्या लगातार कम होने से देखा जा सकता है।
कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात कमी पर प्रभाव : कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों में चयनात्मक लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाने वाला एक बहुत ही भयानक कार्य होता है। यह भयानक कार्य भारत में लडकियों की अपेक्षा लडकों की अधिक चाह की वजह से उत्पन्न हुआ है। इस समस्या ने भारत में बहुत हद तक कन्या शिशु लिंग अनुपात में कमी की है।
यह समस्या देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी की वजह से ही संभव हो पाया है। इस समस्या ने समाज में लिंग भेदभाव और लडकियों के लिए असमानता के कारण बड़े और भयानक दानव का रूप ले लिया है। भारत में महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रिय जनगणना के बाद देखी गई थी।
बाद में 2001 की राष्ट्रिय जनगणना के बाद इसे समाज की एक बिगडती हुई समस्या के रूप में घोषित किया गया था। महिला की आबादी में 2011 तक कमी जारी रही थी। बाद में कन्या शिशु के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस प्रथा पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था।
सन् 2001 में मध्य प्रदेश में लडकियों/लडकों का अनुपात 932/1000 था और 2011 में यह अनुपात 912/1000 तक कम हो गया था। इसका अर्थ यह है कि यह समस्या आज तक जारी है और आने वाले 2021 तक यह समस्या 900/1000 तक कम हो जाएगी।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ जागरूकता अभियान : बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ होता है कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो। इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा 22 जनवरी , 2015 को कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।
इस अभियान को कुछ गतिविधियों जैसे – बड़ी रेलियों , दीवार लेखन , टीवी विज्ञापनों , होर्डिंग , लघु एनिमेशन , वीडियो फिल्मों , निबन्ध लेखन , वाद-विवाद आदि को आयोजित करने के द्वारा लोगों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए शुरू किया गया था। इस अभियान को बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों द्वारा समर्थित किया गया है।
यह योजना पूरे भारत देश में कन्या शिशु बचाओ के सन्दर्भ में जागरूकता फ़ैलाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने के साथ ही भारतीय समाज में लडकियों के स्तर में भी सुधार करेगी। बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना देश की बेटियों की आने वाली जिन्दगी को सुधारने वाली मुहीम और हमारे देश की भविष्य लिखने वाली अहम कलम है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित वातावरण लाएंगी।
इस अभियान को समाज के हर वर्ग के लोगों ने बहुत ही प्रोत्साहित किया है। हमारे समाज में ऐसे बहुत से घर या परिवार हैं जहाँ पर लडकियों को बराबर नहीं समझा जाता है लडके लडकियों में भेदभाव किया जाता है। लडकियों को परिवार में वह दर्जा नहीं मिलता है जिसकी वे हकदार होती हैं।
लडकियों को अपने ही परिवार में अपने पक्ष को रखने का अधिकार भी नहीं दिया जाता है। लडकियों को वस्तु की तरह समझा जाता है जिन्हें स्नेह भावना , प्यार और ममता बस एक सपने के समान लगता है। इन सभी कुरीतियों को खत्म करने और समाज के मनोभाव को सुधारने के लिए ही बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान को चलाया गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के प्रभावशाली कदम : सालों से भारतीय समाज में माता-पिता के द्वारा लडके के जन्म की इच्छा की वजह से महिलाओं की स्थिति बहुत अधिक पिछड़ गई है। जिसने समाज में लिंग असमानता को उत्पन्न किया और लिंग समानता को लाकर इसे हटाना बहुत जरूरी है।
सरकार द्वारा लडकियों को बचाने और शिक्षित करने के लिए बहुत से कदम उठाए गये हैं। इस विषय में सबसे पहली पहल बेटी बचाओ बेटी पढाओ है जिसे बहुत ही सक्रिय रूप से सरकार , एनजीओ , कॉर्पोरेट समूहों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा समर्थित किया गया है।
समाज में अत्यधिक गरीबी ने महिलाओं के विरुद्ध सामाजिक बुराई जैसे दहेज प्रथा को पैदा कर दिया है जिसने महिलाओं की स्थिति को और भी अधिक बुरा कर दिया है। माता-पिता का यह मानना होता है कि लडकियाँ पैसे खर्च करवाती हैं जिसकी वजह से वो लडकियों को कई प्रकार से जन्म से पहले या बाद में मार देते हैं।
कन्याओं और महिलाओं को बचाने के लिए इन मुद्दों को जल्दी खत्म करना बहुत ही जरूरी है। लडकों और लडकियों को शिक्षा देने के माध्यम से इस समस्या को खत्म किया जा सकता है। महिलाओं का सशक्तिकरण कन्याओं के जीवन को बचाने को एक बहुत ही प्रभावशाली यंत्र है। बेटी बचाओ के सन्दर्भ में कुछ प्रभावशाली अभियानों के द्वारा लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए।
एक लडकी माँ के गर्भ के साथ-साथ बाहर भी असुरक्षित होती है। लडकी जीवन पर्यन्त उन पुरुषों के माध्यम से कई मायनों में डरती रहती है जिन्होंने उन्हें जन्म दिया है। जिस पुरुष ने उसे जन्म दिया है वह उससे शासित होती है जो हमारे लिए बहुत ही शर्म की बात होती है। कन्याओं को बचाने और उनके सम्मान को बनाने के लिए शिक्षा सबसे बड़ी क्रांति है।
लडकी को सभी क्षेत्र में समान अवसर देने चाहिए। सभी सार्वजनिक स्थानों पर लडकियों के लिए रक्षा और सुरक्षा आयोजित करनी चाहिए। एक लडकी का परिवार भी बालिका बचाओं अभियान को सफल बनाने के लिए बहुत ही बेहतर लक्ष्य हो सकते हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनो ने महिला स्कूलों में शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है। बालिकाओं और महिलाओं के विरुद्ध अपराध भारत में वृद्धि और विकास के रास्ते में बहुत बड़ी बाधा है।
कन्या भ्रूण हत्या बड़े मुद्दों में से एक है लेकिन अस्पतालों में लिंग निर्धारण , स्कैन परीक्षण , उल्ववेधन के लिए अल्ट्रासाउंड पर रोक लगाकर सरकार ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इन कदमों को समाज के लोगों को यह बताने के लिए लिया गया है कि लडकियाँ समाज में अपराध नहीं होती है अपितु भगवान का दिया हुआ एक बहुत ही खुबसुरत तोहफा होती हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की आवश्यकता : बेटी किसी भी क्षेत्र में लडकों की तुलना में कम सक्षम नहीं होती है और अपने सबसे सर्वश्रेष्ठ योगदान देती है। सन् 1961 से कन्या भ्रूण हत्या एक गैर क़ानूनी अपराध होता है और लिंग परीक्षण चुनाव के बाद गर्भपात को रोकने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।
लोगों को लडकियों को बचाने के लिए नियमों का बहुत ही सख्ती से पालन करना चाहिए। लडकियाँ लडकों की अपेक्षा अधिक आज्ञाकारी , कम हिंसक और अभिमानी साबित होती हैं। लडकियाँ अपने माता-पिता की और उनके कार्यों की अधिक परवाह करने वाली होती हैं। एक महिला अपने जीवन में माता , पत्नी , बेटी , बहन की भूमिका निभाती है।
प्रत्येक मनुष्य को यह सोचना चाहिए कि उसकी पत्नी किसी और आदमी की बेटी है और भविष्य में उसकी बेटी किसी और की पत्नी होगी। इसीलिए हर किसी को महिला के प्रत्येक रूप का सम्मान करना चाहिए। एक लडकी अपनी जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को भी बहुत ही वफादारी से निभाती है जो लडकियों को लडकों से अधिक विशेष बनाती है। लडकियाँ मानव जाति के अस्तित्व का परम कारण होती हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ में उद्देश्य : बेटी बचाओ बेटी पढाओ मिशन का उद्देश्य समाज में लिंग संतुलन को बरकरार रखना होता है। इस मिशन का मूल उद्देश्य समाज में पनपते लिंग असंतुलन को नियंत्रित करना है। हमारे समाज में कन्या भ्रूण हत्या बढती ही जा रही है जिसकी वजह से हमारे देश का भविष्य एक चिंताजनक विषय बन चुका है।
इस अभियान के द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध आवाज उठाई गयी है। यह अभियान हमारे घर की बहु-बेटियों पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध एक संघर्ष है। इस अभियान के द्वारा समाज में लडकियों को समान अधिकार दिलाए जा सकते हैं। आज के समय में हमारे समाज में लडकियों के साथ अनेक प्रकार के अत्याचार किये जा रहे हैं जिनमें से दहेज प्रथा भी एक है। इस योजने के विरुद्ध इस अभियान को चलाया जाना एक बहुत ही बड़ी लड़ाई है।
लडकियों को समाज में कन्या भ्रूण हत्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर कोई लडकी पैदा भी हो जाती है तो जन्म के बाद बहुत सारे सामाजिक अत्याचारों का सामना करना पड़ता है जैसे – लडकियों को शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रखना , उन्हें समाज में अपने सही अधिकार के लिए लड़ना आदि। इन सभी आत्याचारों को खत्म करने के लिए यह अभियान बहुत हद तक सफल रहा है।
इस अभियान के द्वारा हमारे समाज में बेटियों को हक दिलाना और उन्हें अपनी जिन्दगी जीने की छूट देना संभव हो सकता है। आज के समय में हर परिवार में लडके और लडकियों में कहीं-न-कहीं अंतर किया जाता है जिसमें गलती हमारी सोच की होती है। बहुत से परिवारों में लडकियों को लडकों जितना दर्जा नहीं दिया जाता है। लडकियों को कुछ करने की आजादी नहीं होती है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के द्वारा हम लडकियों पर होने वाले अत्याचारों को कुछ हद तक रोक सकते हैं। इस अभियान के माध्यम से ही कन्या भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है। इस अभियान के माध्यम से लडकियों के लिए समाज में एक सुरक्षित माहौल पैदा किया जा सकता है। इससे लडकियों को खुली जिंदगी जीने के अवसर मिल जाता है और समाज की लड़का लडकी की सोच पर लगाम लगाया जा सकता है।
बेटियों को पढ़ाकर हम अपने समाज की प्रगति को एक गति प्रदान कर सकते हैं। हम अपनी बेटियों को पढ़-लिखकर अपने सपनों को हासिल करने का मौका दे सकते हैं जो भविष्य में कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा को ना कहने की हिम्मत देगा। बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा चलाया गया एक मुख्य अभियान है। भारत का यह सपना है कि लडकियों को उनका अधिकार देना चाहिए और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना चाहिए।
उपसंहार : भारत के प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए सभी नियमों और कानूनों का अनुसरण करना चाहिए। लडकियों को उनके माता-पिता द्वारा लडकों के समान समझा जाना चाहिए और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिए।
बेटी बचाओं अभियान को लोगों द्वारा एक विषय के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए ये एक सामाजिक जागरूकता का मुद्दा है जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत लेनी चाहिए। लोगों द्वारा लडकियों को बचाना और सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि लडकियाँ पुरे संसार के निर्माण की शक्ति रखती हैं।
लडकियाँ भी देश के विकास और वृद्धि के लिए समान रूप से आवश्यक होती हैं। एक बेटी से नफरत , मृत्यु और अपमान नहीं किया जाना चाहिए। समाज और देश की भलाई के लिए उसे सम्मानित और प्यार किया जाना चाहिए। लडकियाँ लडकों की तरह देश के विकास में समान रूप से भागीदार है।