समाज के लेखक/ साहित्यकार
समाज वही आगे बढ़ता है जिसमें भविष्य की सोच हो, चिन्तन हो । साहित्यकार चिन्तनशील होता हैं । इस लिए वह समाज को दिशा देता है । जिस समाज या जाति का साहित्य नहीं वह दिशाहीन है । वह भटका हुआ समाज है । साहित्य प्रगतिशील समाज की पहचान है । साहित्य का महत्व- मनुष्य के जीवन में साहित्य का बहुत बड़ा महत्व है । मनुष्य के लिए जितना भोजन आवश्यक है, साहित्य भी उतना ही जरूरी है । साहित्य मनुष्य के मस्तिष्क की खुराक हैं । मनुष्य को ज्ञान साहित्य से ही प्राप्त होता है साहित्यकारों ने अनकों लोगों के जीवन को बदला है और जीने की राह दिखाई है । इतिहास गवाह है कि दुनिया में जितनी भी क्रांतियां हुई है उनके जन्मदाता दार्शनिक और साहित्यकार ही है । साहित्यकारों ने युग की दिशाओं को मोड़ा है । कबीर, रविदास, जोतिबा फुले और डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने साहित्य के द्वारा ही समाज की मान्यताओं तथा व्यवस्थाओं को बदला है । साहित्याकर की कलम में असीम ताकत होती है । जो समाज को उचाईयों तक पहुँचा सकती है । किसी भी समाज के विकास और उन्नती में साहित्य का अपना महत्व होता है । रैगर समाज में भी अनकों साहित्यकार हुए है जिन्होंने अपनी कला, कार्यकुशलता, लगन, निशकाम सेवा भाव और प्रगतिशील विचार धारा से समाज को नई दिशा दिखाई है । समाज को नई राह दिखाने में हमारे समाज के साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे समाज में जागरूकता पैदा हुई है । हमारे समाज में साहित्यकारों की कोई कमी नहीं है । साहित्य के साथ ही समाज का विकास पूर्ण रूप से हो सकता है । इसलिए समाज के हर व्यक्ति को चाहिए कि वह साहित्य के महत्व को समझे ।
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