मोहन लाल मौर्य सह संपादक चतरपुरा अलवर — जयपुर। जिले के बोराज निवासी भगतजी के नाम से विख्यात 75 वर्षीय श्री उगमाराम गाड़ेगावलिया का एक मई को प्रातः 4:30 बजे आकस्मिक निधन हो गया। यह अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए है। श्री उगमाराम जी के पिता जी श्री मंगल राम जी इनके बाल्य काल मे मात्र 5 वर्ष में ही मृत्यु होगई थी आप 6 भाई बहिन थे आप पढ़ाई में होशियार थे । आप की शिक्षा में गहरी रुचि थी गांव की आबादी कम होने से स्कूल बोराज के जोड़ला मंदिरों में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से आगे स्कूल नहीं जा पाये । भजन कीर्तन साधु-संतों के प्रति आपका आकर्षण बढ़ा खेती का काम आप करने लगे आप संतों की शरण में जाने के कारण गीता रामायण सहित अन्य उपन्यास पढ़ने की रूचि बढ़ने लगी आप 16 साल के थे जब मूलचंद जी जलुथरिया ( पोली वाले ) घाट गेट जयपुर निवासी की बड़ी पुत्री डाला देवी के साथ में आपका विवाह संपन्न हुआ । आपके एक पुत्र दिनेश हुआ उसकी मृत्यु हो गई उसके पश्चात आप की धर्मपत्नी डाला देवी का भी स्वर्गवास हो गया । आपकी घाटगेट जयपुर में ही पुनः शादी श्री लक्ष्मण जी जाबडोलिया की बड़ी पुत्री पार्वती देवी के साथ में संपन्न हुआ । आपकी पत्नी भी धार्मिक प्रवृत्ति की है आप दोनों ही आस्था के प्रति विशेष रुचि रखते थे । आप 18 वर्ष की आयु से भजन-कीर्तन करने में मशगूल हो गए । भजन-कीर्तन के दौरान ही यह संत देवादासजी महाराज की शरण में चले गए। आप संत प्रतापदासजी महाराज के शिष्य बनकर समाज उत्थान में अग्रहणी रहे इनके आशीर्वाद से उगमाराम गाड़ेगावलिया से भगतजी नाम से विख्यात हो गए। आप किशोर अवस्था मे यह गांव-गांव जाकर भजन-कीर्तन के माध्यम से सामाजिक रवायत को एक सूत्र में पिरोए रखने पर जोर दिया करते थे। आप सत्संगों भजनों के मध्य से कुरूतियो ओर शिक्षा पर जोर देते रहे ।अपने आस-पास के इलाके में जहां-कहीं भी सतसंग की भनक लग जाती थी। यह वहीं पहुंच जाते थे। यानी के सतसंग के प्रति इनका अगाथ प्रेम था। ग्राम पंचायत बोराज में वार्ड पंच भी रहे। आप छुआ छूत विरोधी रहे गांव ही नही आस पास के गांवों में छुआ छूत चरमसीमा पर होने के कारण समाज को न्याय दिलवाने के लिए हमेशा आगे रहे आपके गांव बोराज में छुआछूत चरमसीमा प्रति दलित समाज को होटल पर चाय नहीं मिलती थी दुकानों पर नाई बाल नहीं काटते थे तथा घोड़ी पर बैठना वर्जित था आप ही पहले ऐसे व्यक्ति थे जो दलित समाज में आपने होटल पर चाय लेने , बाल कटवाने के लिए अग्रहणी रहकर दलित उत्थान में काम किया । रैगर समाज के दूल्हों की घोड़ी पर बैठ कर निकासी नही निकलते थे जिन्होंने अग्रहणी रहकर दलित समाज के लिए सविभिमान की लड़ाई लड़ी । आपको आस पड़ोस के गांव ही नहीं दूदू ,सांभर ,चाकसू ,झोटवाड़ा पंचायत समितियो मैं आप भगत जी के नाम से विख्यात है आप सामाजिक पंच पंचायतो के माध्यम से समाज में रूढ़िवादी कुरीतियों को मिटाने पर बहुत बल दिया करते थे । आपके अनेक कार्य रैगर समाज के लिए गौरव की बात है आप मृत्यु भोज के कठोर विरोधी थे आप के ही अथक प्रयासों से 1997 में बोराज ग्राम में मृत्यु भोज बंद करवाया । फिजूलखर्ची पर रोक लगाए जिससे रैगर समाज के कुछ लोग नाराज हो गए और उन्होंने अपना कार्यक्रम जारी रखे । मृत्यु भोज बन्द करने पर लोगों ने निंदा की समय के अनुसार उन लोगों को भी आपकी बात माननी पड़ी और मृत्यु भोज बंद करना पड़ा फिजूलखर्ची पर आप ने रोक लगाने के लिए अनेक कार्य किए , बोराज ठाकुर सहित बोराज सरपंच को समाज से छुआ छूत करने पर जेल की हवा खिलाने में पीछे नही रहे उन्हें आप को जान से मारने का कई बार प्रयास किया । आप किशोर अवस्था से ही सुबह 4 बजे उठकर पूजा पाठ करने में अधिकांश समय लीन रहते थे । श्री उगमाराम गाड़ेगावलिया जी : गाड़ेगावलिया टाईम्स : , एवं रघुवंशी रक्षक पत्रिका के संस्थापक थे । श्री उगमाराम जी प्रमुख समाज सेवी एवं रैगर समाज की लोकप्रिय पाक्षिक पत्रिका रघुवंशी रक्षक पत्रिका के सम्पादक मुकेश कुमार जी के पिताजी है। उगमारामजी के तीन पुत्र व दो पुत्रियां सहित पोता-पोती, नवासा-नवासी मौजूद है। इनके ज्येष्ठ पुत्र मुकेश कुमार गाड़ेगावलिया, इनसे छोटे मोहनलाल गाड़ेगावलिया,व सबसे छोटे रविकुमार गाड़ेगावलिया है। बड़ी बेटी मूंज देवी और छोटी बेटी सम्पति देवी है। एक मई को जैसे ही लोगों को इनके निधन का समाचार मिला तो लोग हजारों की तादाद में अंतिम यात्रा में शामिल हुए और शोक संतप्त परिवार को संवेदना प्रकट कर ढांढ़स बंधाया। आप के निधन के समाचार सुनने के बाद पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई और लोगों का जमावड़ा आपके घर पर जम गया लोगों ने दिल से आप को श्रद्धांजलि दी रैगर समाज ही नहीं अपितु अन्य समाजों के लोगों ने एक समाज और आज का मानव पटेल समाज सेवी भक्त आदमी को दिया समाज के लिए आप प्रेरणादायक भगत जी के नाम से जाने पहचाने गए हैं और जाने पहचान जाएंगे श्री उगमा राम जी गाड़ेगावलिया को पूरा बोराज के लोगोँ ने नमः आँखों से अंतिम विदाई दी । रैगर समाज ने सच्चे समाज सेवी को खो दिया । इनकी पूर्ति करना सम्भव नही है ।