अखिल भारतीय रैगर महासभा के तत्वाधान में बून्दी में हुए सातवें महासम्मेलन में सामाजिक कुरूतियों पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव जारित जनता के सामने रखे तथा उन्हें ध्वनिमत से पारित करवाया गया ।
गौरवतलब है कि महासभा की 20 जनवरी, 2013 को महासभा की कार्यकारिणी में सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगाने हेतु नये प्रस्तावों पर मुहर लगाई थी जिसे आम सभा में बून्दी सम्मेलन में जनता ने हाथ उठाकर समर्थन प्राप्त किया । जो विधान का अंग बनेगी । इन कुरूतियों का संक्षिप्त में विवरण इस प्रकार है –
मृत्यु भोज बन्द करना –
✔किसी समाज बन्धु की मृत्यु होने पर लेनदार रिश्तेदारों से कफन के पैसे लेना बन्द तथा देनदार रिश्तेदारों को जुआरी (विदाई) देना पूर्ण रूप से बन्द करने की घोषणा की जाती है ।
✔मृत्यु होने पर तीसरे दिन या 12 वें दिन भोज बन्द किया जाता है । केवल आगन्तुक मेहमानों के लिए साधारण भोजन व्यवस्था करना निर्णित है ।
✔शीशी पूजन पर लेनदेन बन्द – शीशी पूजन के समय किसी भी प्रकार की धनराशि लेना पूर्ण प्रतिबंधित रहेगा तथा पूरे परिवार के कपड़े लेना बन्द किया जाता है । केवल मृतक के परिवार के कपड़े दिए जा सकते हैं तथा थाली में या पगड़ी रसम पर मात्र 101 रूपये से अधिक की राशि लेना मना है ।
✔धार्मिक अवसरों पर जैसे कंवली, मकान की नींव व गृहप्रवेश इत्यादि पर जा लेनदार रिश्तेदारों से जो पहरावणी ली जाती है वह बन्द की जाती है ।
✔सामूहिक रूप से शराब पीना-पिलाना एवं प्यालों मे रूपये देना पूर्ण रूप से बन्द किया जाता है ।
सगाई विवाह में सुधार
✔सगाई से पहले रोकना, टोकना तथा सगाई पर तीनों ही तरह से लेनदेन बन्द किया जाता है । केवल सगाई के समय लड़के के निजी परिजनों को ही कपड़े दिए जाए ।
✔दिन की शादी हो जिसमें विवाह का समय इस प्रकार हो । बारात वधुपक्ष के घर तीन बजे दिन में पहुँच जानी चाहिए ।
✔ दिन में ही बिन्दोली निकाल कर गोधुली के समय में ही शादी होनी चाहिए और बारात रात को 9 बजे तक वापस प्रस्थान कर जानी चाहिए ।
शैक्षणिक शिक्षा अनिवार्य
✔समाज में प्रत्येक व्यक्ति अपने लड़का और लड़की को कम से कम 12वीं तक पढ़ाया जाना अति आवश्यक है ।
इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय रैगर महासभा द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव संख्या तीन (बेगारी प्रथा) जहां पर लगू नहीं है वहां पर स्थानीय पंच/प्रधान इसे तुरंत लागू करवाए । इस ग्राम, ब्लॉक, तहसील तथा जिला स्तर पर महासभा के तत्वाधान में महासम्मेलन बुलवाए ताकि प्रस्तावों की जानकारी देकर उन्हें लागू करवाए । यह प्रस्ताव महासभा के महामंत्री ताराचन्द जाजोरिया द्वारा पढ़कर सुनाए गए ।