February 2018

Month

जहां तक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी का प्रश्न है:- वर्तमान परिस्थितियों में इसके लिए ढांचा तैयार करने में कुछ समय चाहिए लेकिन यदि हम तुरन्त करना चाहते है तो हमें अपने आस पास के प्रतिभावान बच्चों को चिन्हित कर उन्हें अच्छे कोचिंग संस्थाओं में कोचिंग दिलानी चाहिए । इसके लिए मेरा मानना है कि एक फण्ड...
Read More
पहले आदमी शराब पीता है, फिर शराब, शराब को पीती है और अंत में शराब आदमी को निगलने लग जाती है। आज गाँवों, शहरों में उत्सव, शादी-ब्याह, जन्‌म-मरणोपरांत के समारोहों में सुपारी, पान-मसाला,बीड़ी,सिगरेट,अफीम और रियाण सभी तरह के नशेड़ी तामझामो की व्यवस्था करना जरूरी है । अमीरोँ के लिए यह परंपरा शान है किंतु गरीबोँ...
Read More
बात ’’इण्डिया दैट इज भारत ’’की करे तो आरक्षण को नजर अन्दाज नही किया जा सकता । प्रश्न यह उठता है कि आरक्षण व्यवस्था इण्डिया मे ही क्यो है । इसी प्रश्न के साथ एक प्रश्न और भी खड़ा होता है, यह कि भारत मे जाति व्यवस्था क्यो है । यदि आरक्षण व्यवस्था के प्रश्न...
Read More
आरक्षण क्या है, क्या यह केवल एक वर्ग विशेष का दिया जाने वाला फायदा है या उनके उत्थान के लिए अपनाये जाने वाला साधन। आज हमारे लोकतंत्र मे वोट हासिल करने के लिए अपनाया जाने वाला एक हथियार बन गया है। जबकि वास्तव मे आरक्षण क्या है। डॉ. अम्बेडकर के अनुसार ‘‘आरक्षण हमारे लोकतंत्र मे...
Read More
डॉ. अम्‍बेडकर एक समाज सुधारक और समाज व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन का समर्थन करने वाले दार्शनिक थे । उनकी साधना बहुमुखी थी । उन्होंने सदियों से दलित समाज को आत्मविश्वास और आत्मगौरव से युक्त करने और अस्पृश्यता निवारण के लिए भागीरथी प्रयास किया । वे एक ऐसे समाज सुधारक थे, जो मात्र भाषणों तक ही...
Read More
समाज के नेतृत्व का प्रश्न है तो हमे यह कभी नही भुलना चाहिये कि समाज को दिशा देना, नई सोच प्रदान करना, भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करना, समाज के लोगों मे त्याग की भावना पैदा करना, समाज के प्रति लोगो को उतरदायी बनाना, समाज के नेतृत्व करने वालों का ही कार्य है। जहॉ तक नेतृत्व...
Read More
किसी ने कहा है की जिस कौम का इतिहास नही होता, उस कौम का कोई भविष्य नही होता, आज दलित समाज की बात करे तो भगवान बुद्ध के बाद दलित आंदोलन के अग्रदूत गुरू रविदास हुए है। गुरू रविदास का जन्म माघ सुदी 15 विक्रम संवत् 1460 मे मंडुआ डीह नामक एक गाँव मे रघुराम...
Read More
भगवान की बनाई गई इस दुनिया के जीवों में सबसे श्रेष्ठ प्राणी मनुष्‍य है | मनुष्य विवेकशील, प्रज्ञावान और स्वाभाव से हीw मानवता के प्रति संवेदनशील होता है | सारे मनुष्य जन्म से समान होते है ओर मनुष्य समान तरह से जन्म लेते है | समान मानवीय अधिकारों और आदर के हक़दार होते है |...
Read More
आज जिसको देखो समाज के विकास की बात करता है जिसमे, बड़े-बूढे, शिक्षित, अशिक्षित, डाक्टर, इंजीनियर, वकील, राजपत्र अधिकारी सभी शामिल है। यदि किसी से पूछा जाये कि आपने समाज के विकास के लिये क्या किया तो व्यक्ति बताता है कि मै फलाणा फलाना संस्थाओ/संघो/संगठनो (एक से अधिक) मे पदाधिकारी हूं और समाज की सेवा...
Read More
राजस्थान में अछूतों की स्थिति – राजस्थान राज्य के समाज में विभिन्न वर्गों और जातियों के लोग निवास करते थे। अन्य प्रान्तों की अपेक्षा राजस्थान में छुआछूत की प्रथा अधिक थी। राजस्थान को पूर्व में राजपूताना कहा जाता था। राजस्थान राज्यों की रियासतों के शासक निन्म वर्ग के लोगों के साथ भेदभावपूर्म व्यवहार करते थे। शूद्र जाति...
Read More
1 5 6 7 8 9 12