संकलित किये फुल चून-चून कर, आत्माराम लक्ष्य के सपूतों से ।
माला बनाई है फूल पिरोकर, बेवसाईट रूपी धागे से ।।
जिसको पहनेंगे रैगर सपूत, वट वक्ष से फेले भारत में ।
जिसकी निकली है मजबूत जड़े, राजस्थान की माटी से ।।
आओ हम सब मिल कर बनाये, दीपक की माटी का ।
उजाला होगा संजोने पर, अंधकार मिटेगा जाति का ।।
याद दिलायेंगे गौरव, जाति के सपूत ।
इतिहास को आगे बढ़ायेंगे, रैगर राजपूत ।।
समर्पित है रैगर गौरव गाथा वेबसाईट रूप में ।
संजोए रखनना इसको आधुनिक युग में ।।