जल में थल में नील गगन में गुंजेगा जय गान।
हमारी रैगर जाति महान्, हमारी रैगर जाति महान् ।।
अटल रहेंगे हम जीवन भर, चाहे आये लाख मुसिबत आये ।
फर्क ना पडेगा हमको, चाहे हम रैगर जाति के लिये मर जाये ।।
चूर-चूर कर देंगे हम दुशमन के अरमान ।
चमकाएंगे हम जाति को देकर निज बलिदान ।।
जग मे कायर बनकर हमको नहीं सुहाता है ।
आज हमारे रोम रोम से बस ये ही स्वर आता है ।।
आज जवानी जागी फिर से हर नाविक बलशाली है ।
अपनी बगीया के फूलों का रखवाला हर माली है ।।
जागो जागो सोने वालों मधुर विजय ध्वनि आती है ।
आज हिमालय के मस्तक पर उषा तिलक लगाती है ।।
एक बार सब मिलकर बोलो, रैगर वीरों की संतान ।
प्रगति पथ पर फिर से होगा, आज सफल अभियान ।।
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हमारी रैगर जाति महान्, हमारी रैगर जाति महान्………….