समझ रघुवंश मणी रैगर जामनो मुश्किल आवे छ: ।
कुरूतियों के कारण जामारो विरथ जावे छ: ।।
बाल विवाह और रूढिवादी में रूचि दिखावे छ: ।
दहेजं प्रथा में कमी नहीं, फिर नुकता भावै छ: ।।
रूढिवाद में तांडव में क्यों घर लुटावै छ: ।
खुद मर जावे ऋण के माहि, संग दो पीढी जावे छ: ।।
रूढिवादी के रूढि में ज्यों फंसता जावे छ: ।
कांई वैज्ञानिक युग के माय नै पिछड़या कहलावे छ: ।।
कांई सुधार होया देश आजाद बतावै छ: ।
रैगर न अछूत बताकर मान घटावै छ: ।।
छोड़ बुराई, समझ बढ़ावै आगे आवै छ: ।
खुद तर जावै, समाज तरावै, मान बढ़ावे छ: ।।
समझ रघुवंश मणी रैगर जमाना मुश्किल आवै छ: ।
कुरूतियां के कारण जमारों विरथ जावे छ: ।।
लेखक
श्री हनुमान प्रसाद जी दुलारिया
गांव बस्ती, जयपुर