माना जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध की ज्ञान की खोज उस समय शुरू हुई जब उन्होंने एक ही दिन में तीन दृश्य देखे. पहला- एक रोगी व्यक्ति, दूसरा- एक वृद्ध और तीसरा- एक शव. जीवन का यह रूप देखकर हर तरह की सुख सुविधा से संपन्न जीवन को छोड़कर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम जंगल की ओर निकल पड़े थे ज्ञान और बोध की खोज में…
सुख और सुविधाओं से इसी विरक्ति ने उन्हें राजकुमार गौतम से भगवान बुद्ध बनने की राह पर अग्रसर किया. उन्होंने जीवन में ज्ञान प्राप्त किया और इसे सभी मनुष्यों में बांटा भी. पेश हैं भगवान बुद्ध के वह 12 वचन जो अपनाने से आपको जीवन में सफलता और शांति मिलेगी…
- किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है.
- स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है.
- घृणा, घृणा करने से कम नहीं होती, बल्कि प्रेम से घटती है, यही शाश्वत नियम है.
- तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे.
- हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये.
- सभी गलत कार्य मन से ही उपजाते हैं. अगर मन परिवर्तित हो जाय तो क्या गलत कार्य रह सकता है.
- अतीत पर ध्यान केन्द्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो.
- वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है.
- क्रोधित रहना, किसी और पर फेंकने के इरादे से एक गर्म कोयला अपने हाथ में रखने की तरह है, जो तुम्हीं को जलती है.
- अपने शरीर को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ़ नहीं रख पाएंगे.
1 बौद्ध धर्म – विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक बौद्ध धर्म की स्थापना करने वाले महात्मा बुद्ध का जन्म तो एक राजवंश में हुआ था लेकिन अपने आचार-विचार से वह एक शासक नहीं बल्कि संन्यासी ही थे। विवाह के पश्चात अपने नवजात पुत्र राहुल और पत्नी यशोधरा समेत सारा राजपाट त्यागकर युवावस्था में ही सिद्धार्थ बोध और मोक्ष की तलाश में घर से निकल गए थे।
2 बोध की प्राप्ति – कई वर्षों के कठोर तप और साधना के पश्चात आखिरकार सिद्धार्थ को बिहार स्थित बोधि वृक्ष के नीचे मोक्ष का मार्ग और बोध की प्राप्ति हुई। बोध की प्राप्ति होते ही संन्यासी सिद्धार्थ, महात्मा बुद्ध बन गए।
3 बुद्ध के विचार – महात्मा बुद्ध द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म भारत समेत अलग-अलग देशों में पहुंचा, आज बहुत से ऐसे देश हैं जहां बौद्ध धर्म प्रमुखता के साथ अपनाया जाता है। महात्मा बुद्ध और बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध के विचारों और उनके कथनों को अपने जीवन का आदर्श बना चुके हैं। आइए जानते हैं क्या हैं
महात्मा बुद्ध के अनमोल विचार:
4 खोखले शब्द – हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाए
5 अनैतिक कार्य – मन की वजह से ही सभी बुरे कार्य उत्पन्न होते हैं। अगर मन को ही परिवर्तित कर दिया जाए तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
6 बूंद की अहमियत – बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है।
7 वर्तमान क्षण – अतीत पे ध्यान मत दो और ना ही भविष्य के बारे में सोचो। हमेशा अपने मन को वर्तमान क्षण पर ही केन्द्रित रखो।
8 वफादारी – स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन और वफादारी सबसे बड़ा संबंध है.
9 आध्यात्मिक ज्ञान – जिस तरह कोई मोमबत्ती बिना आग के जल ही नहीं सकती, उसी प्रकार मनुष्य भी बिना आध्यात्मिक ज्ञान के जीवन नहीं जी सकता।
10 तीन चीजें – तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं, सूरज, चांद और सत्य
11 मोक्ष – मोक्ष पाने के लिए आपको खुद ही मेहनत करनी होगी, दूसरों पर निर्भर मत रहिए।
12 क्रोध – तुम्हें अपने क्रोध के लिए नहीं बल्कि क्रोध की वजह से दंड भुगतना होगा।
13 बुरा मित्र – जंगली जानवर की बजाय एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को हानि पहुंचाएगा।
14 शाश्वत सत्य – शाश्वत सत्य यह है कि घृणा का खात्मा घृणा से नहीं अपितु प्रेम से ही संभव है।
15 संकट – वह व्यक्ति जो पचास लोगों से प्रेम करता है वह उसके पास पचास संकट हैं, वो जो किसी से भी प्रेम नहीं करता उसके पास कोई संकट नहीं है।
16 पवित्र शब्द – आप चाहे कितने ही पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, जब तक आप इन्हें प्रयोग में नहीं लाएंगे तब तक ये आपका कुछ भला नहीं कर सकते।
17 अभी बाकी है – मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है, मैं हमेशा देखता हूं कि अभी और क्या किया जाना बाकी है।
18 मौत की छवि – बिना स्वास्थ्य के जीवन बेकार है, वह बस एक पीड़ा की स्थिति और मौत की छवि है।
19 हमारी सोच – हम जो भी सोचते हैं, वही बन जाते हैं।
20 शक करने की आदत – शक करने की आदत से ज्यादा भयावह और कुछ भी नहीं है। शक लोगों को एक-दूसरे से अलग करता है। यह एक ऐसा जहर है जो मित्रता को समाप्त करता है और रिश्तों को तोड़ता है। एक ऐसा कांटा है जो चोटिल करता है, एक ऐसी तलवार है जो वध करती है।