धर्म विचारों सज्जनों बनो धर्म के दास ।
सच्चे मन से सभी जन त्यागो मदिरा मांस ।।
– स्वामी ज्ञानस्वरूपजी महाराज
प्रिय बंधुओं !
स्वामी ज्ञानस्वरूपजी महाराज, स्वामी उदारामजी महाराज व स्वामी गोपालरामजी महाराज जैसे संत हमे मार्गदाता व मुक्तिदाता के रूप में मिले हैं । जिनके अथाह प्रयासों से हमारे समाज में कई सुधार हुए है ।
परन्तु आज हम उनके आदर्शों को आदेशों को भुलकर, गलत रास्ते पर भटक रहें हैं, शराब, बीड़ी, अम्बल(अफिम), तम्बाकु, मांस इत्यादि का सेवन तो हर घर व समाज में मुक्त रूप से हो रहा है । यही हमारे दुःखों के मूल कारण है ।
इन व्यसनों से कैंसर, खांसी, दमा, टीबी, लकवा वगैरह अनेक रोगों ने हमारे घरों में अड्डा जमा रखा है । साथ ही इन व्यसनों से फालतू खर्च भी अपने गले में बांध रखे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप हमारी आर्थिक स्थिति खराब होती है तथा इनसे बच्चों पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है ।
-: अपने आप में झाक कर देखे :-
1. शराब पीने वाले व्यक्ति का 50/- रु. रोज का खर्च मानकर चलें, तो एक महीने का 1,500/- रु. व सालभर में 18,000/- रु. होते हैं । एक व्यक्ति अपने जीवन भर में 50 वर्ष शराब का सेवन करता है तो 9,00,000/- रु. (नौ लाख) फिजूल खर्च कर देता है ।
2. सिर्फ एक साल की बचत 18000/- रु. पोस्ट ऑफिस में फिक्स (किसान विकास-पत्र) जमा कराने से 42 वर्ष, 11 महीने तक रिन्यू कराते रहने पर यह रकम 5,76,000/- रु जमा हो जाती है । जो आपकी जिन्दगी के लिए पेन्शन या बच्चों की शिक्षा के काम आ सकती है ।
3. बीड़ी पीने वाले व्यक्ति का बीड़ी व माचिस का कम से कम रोजाना का खर्च 10/- रु माने, तो एक महिने में 300/- रु सालभर में 3,600/- रु होते है । 50 वर्ष का हिसाब लगावें तो 1,80,000/- रु फिजूल खर्च में राख हो जाते है तथा कैंसर को न्योता! देते है ।
4. गंगा प्रसादी, मोसर या मत्युभोज के नाम पर 40-50/- हजार रु खर्च करना कोई मामूली बात बन गई है ।
5. सेवा-निवृत्ति पर भी हमारे बन्धुओं ने खर्च करने की होड़ लगा रखी है ।
6. गुजरात में तम्बाकू व गूटखे के सेवन से 32 हजार व्यक्ति हर वर्ष मरते है, कारण है, कैंसर ।
7. अकेले भारत में एक दिन में 11 करोड़ की सिगरेट पी जाते है । इस तरह एक वर्ष में 50 अरब रु का धुंआ हो जाता है तथा कैंसर को निमंत्रण !
8. अण्डा तन्दुरुस्ती के लिए हानिकारक है, एक अण्डे में 400 से 500 मीलीग्राम कॉलेस्ट्रोल होता है जबकि 200 मीलीग्राम कालेस्ट्रोल र्हाट अटैक का कारण होता है ।
9. मांस खाना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । मांस खाने से ईकोलि संक्रमण, अधिक कॉलेस्ट्रोल, हृणदयघात, दौरे पड़ना, कैंसर, मोटापा, एसीडीटी तथा पशुओं को जो रोग होगा वह आपको भी हो सकता है ।
तिल भर मछली खाय के, करे कोटि गऊ दान ।
काशी करवट ले मरे, वो भी नरक निदान ।।
– सन्त कबीर साहब
बच्चों का भविष्य आपके हाथ में है । इस रकम को बचाकर अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर या उच्च अधिकारी बना सकते हैं ।
बन्धुओं ! सरकार हमें ऊँचें उठाने के अनेक उपाय कर रही है, परन्तु शराब, बीड़ी, अम्बल (अफिम), तम्बाकु, मोसर इत्यादि फिजूल खर्च की बीमारियाँ हमने ऐसी पाल रखी है कि हमारा समाज उन्नति के बजाय अवनति की ओर जा रहा है । इन व्यसनों से हमारी बुद्धि भ्रष्ट होती जा रही है । हम न तो बच्चों की शिक्षा की और ध्यान दे पाते हैं, और ना ही समाज में संगठन ला पाते हैं ।
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जीवन भर दलितों के जीवन, आर्थिक स्थिति व समाज में हमारा स्थान, आदि विषयों का खूब अध्ययन किया है । उन्होंने असहनीय अनुभवों का समुंद्र मन्थन कर हमें तीन रत्न प्रदान किये हैं ।
1. शिक्षित बनो 2. संगठित रहो 3. संघर्ष करो
यह तीन रत्न आपके बच्चों, परिवार व समाज की तरक्की के आधार हैं ।
2 अक्टूबर, 2008 को भारत सरकार ने कानून बनाया जिसके अनुसार सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान वर्जित एवं दंडनीय अपराध माना हैं ।
अतः हमारा परम कर्त्तव्य है कि शराब, बीड़ी, अम्बल(अफिम), तम्बाकू, मांस, मौसर इत्यादि खर्चो से दूर रहकर बच्चों को शिक्षित बनायें व अपने परिवार व समाज का भविष्य सुधारे । इसी से आपके परिवार, समाज व राष्ट्र की नींव मजबुत बनेगी ।
”व्यसन मुक्त व्यक्ति ही अच्छे समाज की रचना कर सकता है” – आचार्य नागेश
भला होय सब जगत का, सुखी होय सब लोग ।
दूर होय दारिद्रय-दु:ख, दूर होय सब रोग ।।
दुखियारे दू:ख मुक्त हों, भय त्यागें भयभीत ।
द्वेष छोड़कर सभी जन, करें परस्पर प्रीत ।।