दलितों के नेता, पत्रकार अर स्वतंत्रता सैनानी ।
जयचन्द मोहिल याद रहेगी, देश हित तेरी कुर्बानी ।।
गांधी-नेहरू के भक्त तुने, दलितों का उत्थान किया ।
मदिरा पान बन्द कराया, और उन्हें सम्मान दिया ।।
भारत माता की जय बोल, आंदोलन का बिगुल बजाया ।
लाठी-डंडे पड़े खूब, पर न तनिक भी घबराया ।।
सन् 1938 के आन्दोलन में, नौकरशाही से टकराया ।
6 माह की सजा भोग, सिर ऊँचा कर घर आया ।।
ऋषि दयानन्द पर थी श्रद्धा, आर्य समाज को अपनाया ।
ठक्कर बापा का आशीष मिला हरिजन नेता कहलाया ।।
10 वर्ष रहा विधायक, जनता से स्नेह बढ़ाया ।
सरल स्वभावी, सादा जीवन, सेवा पथ अपनाया ।।
निर्भय लेखनी चली तुम्हारी, भ्रष्टाचार घबराया ।
छुआछूत करने वालों को, तुमने मजा चखाया ।।
जाओं मोहिला । बिदा तुम्हें तुमने नाम कमाया ।
सूर्यभानु ने श्रद्धा से, गुणगान तुम्हारा गया ।।
लेखक
सूर्यभानु पोरवाल
(छोटी सादड़ी)