स्वस्थ्य तन मन ही जीवन का आधार है ।
1. जल्दी सोवें और जल्दी उठें । प्रतिदिन सूर्योदय से डेढ़ घंटा पूर्व उठें ।
2. प्रातः उठकर 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीयें । गुनगुना पानी में आधा नींबू का रस एवं एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से विशेष लाभ होता है । सुबह खाली पेंट चाय व कॉफी का सेवन न करें ।
3. शौच करते समय दांतों को भींचकर रखने से दांत हिलते नहीं हैं ।
4. प्रातः मुँह में पानी भरकर ठण्डे जल से ऑखों में छींटे मारें । अंगूठे से गले में स्थित तालू की सफाई करने से आंख, कान, नाक, नाक एवं गले के रोग नहीं होते हैं । दाई नासिका व बाई नासिका को प्रेशर देकर साफ करें ।
5. स्नान करने से पूर्व दोनों पैर के अंगूठे में सरसों का शुद्ध तेल मलने से वृद्धावस्था तक नेत्रों की ज्योति कमजोर नहीं होती । प्रातः नंगे पांव हरी घास पर टहले इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है सप्ताह में एक दिन पूरी शरीर की सरसों के तेल से मालिश करें, तथा पैर के अंगूठों व पैर के पंजों की दायें हाथ से बायें पंजों की तथा बायें हाथ से दायों पंजों की मालिश करें ।
6. प्रातः दांतों को साफ करने के लिए नीम या बबूल के दातून का प्रयोग करें तथा रात्रि को सोने से पहले तथा प्रत्येक भोजन लेने के बाद दांतों के बीच फंसे अन्नकणों को ब्रुश से साफ करें ।
7. नहाने के पानी में नींबू का रस मिलाकर नहाने से शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है ।
8. प्रतिदिन शौच-स्नान के पश्चात् कम से कम आधा घंटा खुली हवा में सैर व हल्की कसरत, योगासन, प्राणायाम नियमित रूप से करें । हर रोज़ खिलखिला कर हसें । प्राणायाम करने से शरीर स्वस्थय व मन शांत रहता है और आत्मबल बढ़ता है ।
9. नाश्ते में हल्का रेशेयुक्त खाद्य, अंकुरित अन्न, फलों व दलियों का इस्तेमाल करें ।
10. दोपहर भोजन के बाद कुछ समय शवासन में लेटें । रात्रि के भोजन के उपरान्त 10 मिनट वज्रासन में बैठें ।
11. दिन में कम से कम 8 से 12 गिलास पानी जरूर पियें ।
12. रीढ़ को सीधे रखकर बैंठें । जमीन पर बैठकर बगैर सहारे के उठें । नाखुनों को दांतों से कभी न काटें ।
13. दोपहर को खाने में पौष्टिक एवं रेशेयुक्त खाद्यों का प्रयोग करें ।
14. खाने के दौरान पानी न लें । खाने के आधा घंटा पहले तथा आधा घंटा बाद पानी का सेवन करें । पानी घूंट-घूंट करके पीयें ।
15. शाकाहारी, सुपाच्य, सात्विक खाना भूख लगने पर ही चबाचबा कर खायें । फास्ट फुड, कोल्ड ड्रिंक, धूम्रपान वा मांस-मदिरा का प्रयोग न करें ।
16. कम खायें । जीवन जीने के लिए खाएं ना कि खाने के लिए जीयें । अपने आमाशय का आधा भाग भोजन, चौथाई भाग पानी तथा शेष चौथाई वायु के लिए रखें । देह को देवालय बनायें कब्रिस्तान नहीं ।
17. पानी हमेशा बैठकर ही पीयें, खड़े होकर पीने से घुंटनों में दर्द होने लगता है ।
18. भोजन हमेशा धरती पर बैठकर ही करें । खूब चबा-चबा कर खायें । भोजन करते समय मौन रहें, क्रोध न करें, पूरा ध्यान खाने पर ही रखें । भोजन करते समय टेलीविज़न न देखें ।
19. भोजन से पूर्व भी ईश्वर का स्मरण करें तथा भोजन को ईश्वर का प्रसाद मान कर ग्रहण करें ।
20. भोजन में मिर्च-मसालों का प्रयोग कम करें ।
21. भोजन में हरी सब्ज़ी व सलाद का अधिक से अधिक प्रयोग करें । अधिक गर्म और ठंडी वस्तुएं पाचन क्रिया के लिए हानिकारक है ।
22. खाने के पश्चात् लघुशंका अवश्य करें । केला, दूध, दही और मट्ठा एक साथ नहीं खाना चाहिए । सावन में दूध और भाद्र मास में छाछ का प्रयोग हानिकारक है ।
23. रात का खाना सोने के 2 घंटे पहले खाएं, खाने के बाद थोड़ी चहल कदमी करें, खाने के तुरन्त बाद न लेटें । बिना तकिये के सोने से हृदय और मस्तिष्क मजबूत होता है ।
24. प्रतिदिन मौसम के फलों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है । फलों का भोजन के साथ न लेकर अलग से भोजन से पहले खायें ।
25. सांस हमेशा नाक से ही लें व छोड़ें । ईश्वर ने मुख खाने के लिए दिया है । मुख से सांस नहीं लेना चाहिए ।
26. फल सब्जियों का प्रयोग छिलके सहित धोकर करें । छिलके वाली दालों का सेवन ही करें ।
27. सप्ताह में एक दिन का उपवास अवश्य रखें । कुछ नहीं खायें, केवल पानी पीयें ।
28. मल, मूत्र, छींक आदि के वेगों को कभी नहीं रोकना चाहिए, रोकने से रोग उत्पन्न होते हैं ।
29. सोने के लिए सख्त विस्तर का प्रयोग करें, डनलप के गद्दे का प्रयोग हानिकारक है ।
30. स्मरण शक्ति (मेमोरी) बढ़ाने के लिए रात में सोने से पहले पूरे दिन की दिनचर्या का आंखें बन्द कर सिंहावलोकन करें । मुंह ढक कर न सोयें । रात को कमरे में सोते समय खिड़कियां खोलकर सोयें । बाईं करवट सोने से दांयां श्वांस चलता है जो खाना हज़म करने में सहायक है ।
31. रात को 9 से 12 बजे तक सोने से 6 घंटे की नींद पूरी हो जाती है । दिन में न सोयें ।
32. सब्जियों में सीताफल, मिठाई में पेठा व फलों में पपीते का सेवन सर्वोंत्तम है ।
33. उत्तर तथा पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने वालों की आयु क्षीण होती है । पूर्व तथा दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने वालों की आयु दीर्घ होती है ।
34. कच्चे घीये का रस व कच्चे पेठे (जिसकी मिठाई बनती है) का रस में काला नमक व नींबू डालकर पीना सर्वोत्तम है ।
35. पीने का पानी एवं अन्य खाद्य पदार्थ भी स्वच्छ होने चाहिएं क्योंकि अस्वच्छता से रोगों की उत्पित्त होती है ।
36. नशीले पदार्थों के सेवन से धन और स्वास्थ्य दोनों से हाथ धोना पड़ता है ।
37. प्रातः एवं सायंकाल ईश्वर का स्मरण एवं धन्यवाद अवश्य करें ।
38. स्वयं पर संयम रखें । मन में बुरे विचार तथा निराशा को स्थान न दें । कम बोलें तथा क्रोध न करें ।
39. हर परिस्थिति में सदैव प्रसन्न रहें । प्रसन्नता स्वास्थ्य की सबसे बड़ी कुंजी है । हर रोज़ खुलकर खिलखिला कर हंसें । हंसना ही जीवन है ।
40. आलस्य, भूख तथा नींद को जितना बुलाएंगे, उतना ज्यादा नज़दीक आयेंगे । इनसे दूरी बनाए रखें ।
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व्यस्त रहें, मस्त रहें स्वस्थ्य रहें । करे योग रहे निरोग ।
(साभार : पतंजलि योगपीठ (ट्रस्ट), हरिद्वार)