आज जिसे देखो वहीं, कहता नज़र आता है कि “मैं अम्बेडकरवादी हूँ”। लेकिन क्या उसे ये पता होता है की “अम्बेडकरवाद” है क्या? किसी किसी को शायद ये बड़ी मुश्किल से पता होता है कि “अम्बेडकरवाद” असल में है क्या?
अम्बेडकरवाद” किसी भी धर्म, जाति, रूढ़वादिता, अंधविश्वास, अज्ञानता,किसी भी प्रकार के भेदभाव या रंगभेद को नहीं मानता, अम्बेडकरवाद मानव को मानव से जोड़ने या मानव को मानवता के लिए बनाने का नाम है। अम्बेडकरवाद वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मानव के उत्थान के लिए किये जा रहे आन्दोलन या प्रयासों के नाम है।
एक अम्बेडकरवादी होना तभी सार्थक है जब मानव, वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपना कर समाज और मानव हित में कार्य किया जाये।सुनी सुनाई या रुढ़िवादी विचारधाराओं को अपनाकर जीवन जीना अम्बेडकरवाद नहीं है।आज हर तरफ तथाकथित अम्बेडकरवादी पैदा होते जा रहे है…. परन्तु अपनी रुढ़िवादी सोच को वो लोग छोड़ने को तैयार ही नहीं है। क्या आज तक रुढ़िवादी सोच से किसी मानव या समाज का उद्धार हो पाया है? …….. अगर ऐसा होता तो शायद अम्बेडकरवाद का जन्म ही नहीं हो पाता। अम्बेडकरवादी कहलाने से पहले रुढ़िवादी विचारों को छोड़ना पड़ेगा। वैज्ञानिक तथ्यों पर विचार करना पड़ेगा, तभी अम्बेडकरवादी कहलाना सार्थक होगा।अम्बेडकरवाद दुनिया की सबसे प्रतिभाशाली और विकसित विचारधारा का नाम है, दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान अम्बेडकरवाद में ना हो।
अम्बेडकरवाद के बारे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो कि निम्नलिखित है:-
रूढ़िवादी, शोषित, अमानवीय, अवैज्ञानिक, अन्याय एवं असमान सामाजिक व्यवस्था से दुखी मानवों की इसी जन्म में आंदोलन द्वारा मुक्ती प्रदान कर, समता–स्वतंत्र–बंधुत्व एवं न्याय के आदर्श समाज में मानव और मानव (स्त्री पुरुष समानता भी) के बीच सही सम्बन्ध स्थापित करने वाली नयी क्रांतिकारी मानवत समता–स्वतंत्र–बंधुत्व एवं न्याय के आदर्श समाज में मानव और मानव (स्त्री पुरुष समानता भी) के बीच सही सम्बन्ध स्थापित करने वाली नयी क्रांतिकारी मानवतावादी विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है।
जाती-वर्ग, छूत-अछूत, ऊँच-नीच, स्त्री-पुरुष, शैक्षिक व्यवस्था, रंगभेद की व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाकर एक न्याययुक्त, समानतायुक्त, भेद-भाव मुक्त, शैक्षिक, वैज्ञानिक, तर्कसंगत एवं मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था बनाने वाले तत्वज्ञान को अम्बेडकरवाद कहते है। जिससे मानव को इसी जन्म में रूढ़िवादी जंजीरो से मुक्त किया जा सके।
व्यक्ति विकास के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने की दृष्टी से समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व और न्यायिक् इन लोकतंत्र निष्ठ मानवीय मूल्यों को आधारभूत मानकर संपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने वाले दर्शन को (तत्वज्ञान) को अम्बेडकरवाद कहते है। उच्च् एवं निम्न,छूत-अछूत पर आधारित गैरबराबरी वाली व्यवस्था को बदलकर समतापूर्ण मानवतावादी व्यवस्था में बदलने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है, ऐसी व्यवस्था में सबको विकास एवं समान संधि मिलती है।
साधारण परिभाषा इस प्रकार भी दे सकते हैं ।
गैर बराबरी वाली व्यवस्था को बदलकर समतायुक्त मानवतावादी व्यवस्था की निर्मित करना अम्बेडकरवादहै।
अम्बेडकरवाद यह मानव मुक्ती का विचार है, यह वैज्ञानिक दृष्टीकोण है। इंसानियत का नाता ही अम्बेडकरवाद है।
मानव गरिमा (human dignity) के लिये चलाया गया आंदोलन ही अम्बेडकरवाद है।
मानव का इसी जन्म में कल्याण करने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है।
मानव कल्याण का मार्ग ही अम्बेडकरवाद है। जीवन जीने का मार्ग देने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है।
शारीरिक, मानसिक, आत्मिक और सामाजिक उत्थान, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक बदलाव को अम्बेडकरवाद कहा जासकता है।
अम्बेडकरवाद एक ऐसा विचार एवं आंदोलन है, जो अन्याय और शोषण के खिलाफ है और उस की जगह एक मानवतावादी वैकल्पिक व्यवस्था बनाता है। यह संपूर्ण वैज्ञानिक दृष्टीकोण पर आधारितहै। ब्राम्हणवाद का विनाश करने वाली क्रांतिकारी विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है। अम्बेडकरवाद केवल यह विचार का दर्शन ही नही है बल्कि यह सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन में बदलाव लाने का एक संपूर्ण आंदोलन है।
अम्बेडकरवाद यह ऐसी विचारधारा है जो हमें मानवतावाद की ओर ले जाती है। व्यवस्था के गुलाम लोगो को गुलामी से मुक्त कर मानवतावाद स्थापित करना ही अम्बेडकरवाद है।
तो अम्बेडकरवादी कहने वाले लोग कृपया ध्यान दे- कि “मै अम्बेडकरवादी हूँ” केवल इतना कहने से कुछ नही होने वाला अम्बेडकरवाद की रंग में स्वयं को सरोबार करना पड़ेगा और अम्बेडकर जी के प्रति सच्ची श्रंद्धांजलि यही होगी जब हम उनकी आंदोलन की ज्योति हमेशा जलाये रखेंगे।
लेखक : डॉ. सुरेश खटनावलिया (वरिष्ट पत्रकार), जोधपुर (राज.)
Bsc, Bjmc, Mjmc, Pgdca, Phd
माबाईल नम्बर 9414879123