प्राचीन काल से ही भारत को सोने की चिड़िया, विश्वगुरु जैसे उपनामों की संज्ञा दी जाती थी लेकिन बदलते दौर खुद के मनमाने तरीके से विकास को लेकर जिस प्रकार लोगो के चरित्र का नैतिक पतन हुआ है उसके चलते हमारे देश में सर्वाधिक भ्रष्टाचार का ही विकास हुआ है
भ्रष्टाचार एक ऐसा शब्द जिसके आते ही हमारे आखो के सामने एक ऐसी रुपरेखा तैयार हो जाती है जो कही न कही हमारे न्याय, कानून, सरकारी व्यवस्था के विरुद्ध जाकर सिर्फ अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक लोग जा सकते है जिसकी शायद कल्पना भी नही की जा सकती है।
भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए सशक्त लोकपाल की जनाकांक्षा अभी पूरी नहीं हो सकी है। दुनिया के कई देशों का उदाहरण हमारे सामने है, जिस समाज में भ्रष्टाचार कम होता है, वह अधिक उत्पादक एवं रचनात्मक बन जाता है, जबकि जहां भ्रष्टाचार बढ़ता है, वहां गरीबी और असमानता की खाई भी बढ़ती जाती है। जाहिर है, विकास की राह पर सरपट दौड़ने को आतुर भारतीय अर्थव्यवस्था की राह से भ्रष्टाचार का अवरोधक हटा कर ही सवा सौ देशवासियों के जीवन में खुशहाली लायी जा सकती है।
भ्रष्टाचार करने वालों के लिए कठोर से कठोर दंड का प्रावधान करके भ्रष्टाचार को कई हद तक रोका जा सकता है खासकर घुस लेने और देने वालों दोनों को दंडित करना चाहिए, साथ में भ्रष्टाचार द्वारा जो भी कमाई किया गया हो उससे सरकार द्वारा जांच और जब्त करना चाहिए।
सभी कर्मचारियों को वेतन नकदी देने के बजाय उनके बैंक खाते में जमा करके भी कुछ हद तक भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है तथा साथ में एक क़ानून भी ऐसा बनाना चाहिए की कोई भी अपने बैंक खाते से एक बार में दस हज़ार रुपैये और एक महीने में पचास हज़ार से अधिक ना निकाल पाएं। चुनाव में भी सुधार लाना चाहिए तथा ये भी अच्छे से जांच करना चाहिए की चुनाव लड़ने वाला किसी भी प्रकार का कोई अपराधी ना हो या भ्रस्त ना हो। सच में हम सभी Corruption मुक्त भारत का सपना सच करना चाहते है तो आज से ही हम सभी प्रण ले की परिस्थितिया चाहे कैसी भी हो जाय हम ईमानदारी का राह नही छोड़ेगे और अपने स्तर पर तो कभी भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा नही दें इसकी शुरुआत हम खुद कर सकते है |
जैसे यदि हमारे पास बाइक है बिना हेलमेट, गाड़ी के कागजात के बिना कभी भी बाइक नही चलाएंगे, बिना टिकट यात्रा नही करेगे जैसे तमाम बाते है जिन्हें हम खुद नही करेगे और और दुसरो को भी समझायेंगे तो निश्चित ही यह एक प्रयास के रूप में छोटा हो सकता है लेकिन यदि ऐसी छोटे छोटे कार्यो की शुरुआत करके भ्रष्टाचार पर काबू पा सकते है और भारत को भ्रष्टाचार मुक्त भारत बना सकते है।
भ्रष्टाचार का मतलब है कोई भी कार्य को नियम के खिलाफ या गलत तरीके से अपने फायदे के लिए करना। चाहे वो काम छोटा हो या पुरे देश के लिया किया गया हो। अक्सर लोग पद,सत्ता और संपत्ति के लालच में भ्रष्टाचार करते हैं जो की पुरे देश के लिये एक नुक्सान है।
भ्रष्टाचारी लोग अक्सर देश के कानून के साथ बैमानी और धोकेबाज़ी करते हैं । भारत में भ्रष्टाचार आज नहीं बल्कि ब्रिटिश शासनकाल से ही शुरू हो गया है। तब भी बड़े बड़े राजा महाराजाओं ने सत्ता और संपत्ति के लालच में अंग्रेजों के साथ मिल कर भ्रष्टाचार किया था और आज भी बड़े बड़े नेता सत्ता,पद,और सम्मान के लालच में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। भ्रष्टाचार बहुत तीव्र गती में फ़ैल रहा है और ये चर्चा का मुख्य विषय हो गया है तथा हर दिन न्यूज़ में एक नए भ्रष्टाचार सामने आता है ।
अगर हम सब अपने आप से एक प्रण लें की हम किसी भी प्रकार का गलत काम नहीं करेंगे या किसी भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जो की अनुचित हो या देश के लिए खराब हो तभी बना पायेंगे हम एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत तब भारत को महाशक्ति बन्ने से कोई भी नहीं रोक पायेंगे ।
भ्रष्टाचार निर्विवाद रूप से सबसे ज्यादा खतरनाक बुराइयों में से एक है जो हमारे समाज में गहराई से जमी हुई है। जब से भारत आजाद हुआ है तब से इसने हमारे देश को आर्थिक आधार पर और अधिक कमजोर कर दिया है।भारतीय प्रशासन के हर स्तर पर दुर्भाग्य से भ्रष्टाचार ने अपना शिकंजा कस लिया है और हमारी अर्थव्यवस्था को खोखला करता जा रहा है।
चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र हो भारतीय लोग अपनी स्थिति या शक्ति का दुरुपयोग करने की कोशिश में लगे रहते हैं ताकि वे अपनी अपेक्षित इच्छाओं को पूरा कर सकें और ज्यादा से ज्यादा मुनाफ़ा कमा सकें। हालांकि उन्हें नहीं पता कि वे हमारे देश और इसके विकास को कितना गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं क्योंकि ऐसे लोग दिन-प्रतिदिन संख्या में बढ़ रहे हैं और हमारे राष्ट्र की सम्पत्ति को एक कीड़े की तरह खा रहे हैं।
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तथा भारत को भ्रष्टाचार नमक दीमक से मुक्त करने लिए कुछ उपाय काम लाने चाहिए। एक लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार लोकपाल बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो गया। लेकिन इसको सही तरीके से अमल में लाने की जरूरत है। कहीं लोकपाल की संकल्पना कागजों तक सीमित ना जाए सरकार को इसका खासा ध्यान रखना होगा। सामाजिक कार्यकर्ता और इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) की सदस्य किरण बेदी का कहना है कि लोकपाल की पहली जिम्मेदारी सीबीआई को सरकार के हाथों से मुक्त कराना होगा।
जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी टिप्पणी कर दी है कि सीबीआई सरकार के हाथों का तोता बन चुकी है। वहीं जांच और सजा देने जैसे अधिकार लोकपाल के अधीन होने चाहिए। साथ ही ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए की लोकपाल से पूछे बिना सरकारी अधिकारियों के ट्रांसफर नहीं होने चाहिए। थिंक इंडिया फाउंडेशन के सीईओ धीरज नय्यर के मुताबिक लोकपाल का पहला काम दोषियों को सजा दिलाना और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाना होगा चाहिए। वहीं भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए लोकपाल रीढ़ की हड्डी साबित होगा।
नैतिक चरित्र निर्माण के जरिये यदि हम बच्चो की छोटी छोटी गलतियों की अनदेखी करते है तो यही बच्चे की गलतिया उनकी आदत में शुमार हो जाती है कभी कभी ऐसा होता है की बच्चो को कुछ खाने का मन करता है लेकिन माता पिता के डाट के डर से वे खुलकर बता नही पाते है या माता पिता द्वारा देने से मना कर दिया जाता है |
जिसके बाद बच्चे उस चीज को पाने के लिए चोरी जैसे बुरे रास्तो का सहारा लेना शुरू करते है और जैसे ही कामयाब होते है उन्हें यही रास्ता आसान लगने लगता है फिर आगे चलकर पूरे जिन्दगी अपने कार्यो को आसान बनाने के लिए चोरी, छल कपट का सहारा लेते है ऐसे में यदि शुरू से बच्चो को अच्छे चरित्र निर्माण में ध्यान दिया जाय तो निश्चित ही बुरे रास्तो जैसे भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है।
कल्याणकारी योजानाओं को अमल में लाने के लिए आधारकार्ड के जरिए डायरेक्ट नकदी स्थांनातरण की संकल्पना काफी सकारात्मक है। सरकारी योजनाओं का फायदा प्रत्यक्ष रूप से जनता तक पहुंचाने और बिचौलियों के चंगुल से बचने का यह एक सरल माध्मय है। बशर्ते इसको भी सकारात्मक तरीके से अमल में लाना होगा।
किरण बेदी के अनुसार आधार कार्ड यूआईडी नंबर एक सकारात्मक पहल है। लेकिन इसके साथ इससे संबंधित क्षेत्रों में भी सुधार करने की जरूरत है। बैंकिंग सिस्टम को और गति देने की जरूरत है ताकि योजनाओं का सही फायदा आम जनता तक सही तरीक और समय पर पहुंच सके। कुल मिलाकर आधार कार्ड योजना बेहतर है लेकिन इस श्रेणी में और सुधार किए जाने की आवश्यकता है।
बैंकिंग सेक्टर में इंफ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी है, इसमें सुधार लाने की जरूरत है। वहीं फिलहाल आधार कार्ड में जहां का पता होता है व्यक्ति उसी इलाके में अपना खाता बैंक में खोल सकता है। इसके दायरे को बढ़ाना चाहिए, ताकि देश में कहीं भी आधार कार्ड के जरिए खाता खोला जा सके। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आधार कार्ड जैसी योजनाएं एक सकारात्मक कदम साबित हो सकती है।
किसी भी देश को चलाने के लिए कानून की आवश्यकता पडती है और जिस देश व्यवस्था जितना अधिक दुरुस्त होगा उतना अधिक ही लोग अपने सरकारों द्वारा बनाये गये व्यवस्था का लाभ ले सकते है और यदि सरकार द्वारा स्थापित व्यवस्था का सही से लोग और पूरी ईमानदारी से हर कोई अपना कार्य करे तो निश्चित ही भ्रष्टाचार की शुरुआत ही नही होंगी तो देश खुशहाल होंगा और सभी लोग अपने राष्ट्रीय कर्तव्यो के प्रति ईमानदार भी बने रहेगे।
इसके अलावा प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन, भूमि की सही कीमतें, चुनावी चंदा, स्वयं सत्यापन और ई-गवर्नेंस जैसे कई मुद्दे हैं जिसमें पारदर्शिता, सुधार और सही तरीके से लागू किए जाने की आवश्यकता है। भावी प्रधानमंत्री को इन मुद्दों की समीक्षा करके उसे सकी तरीक से लागू करना चाहिए। जिन स्तरों पर सुधार की जरूरत है वहां सुधार करना चाहिए।
जिसके बाद ही भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संकल्पना को सकारात्मक तरीके से साकार किया जा सकता है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना निश्चित रूप से आसान नहीं है लेकिन यह असंभव भी नहीं है। सबसे पहले हमारे प्रशासन में खामियों और कमियों की पहचान करना और उन कमियों के पीछे के कारणों की जांच करना तथा हर स्तर पर सख्त जांच और उपायों को लागू करके उन कमियों को भरने की कोशिश करना महत्वपूर्ण है। तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं की आपको भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध ( Essay On Corruption In INDIA) काफी पसंद आयी होगी और इसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करना चाहेंगे।